सिकल सेल एनीमिया क्या है | What is Sickle Cell Anemia in Hindi
सिकल सेल एनीमिया क्या है | Sickle Cell Anemia in Hindi | Sickle Cell Anemia In Pregnancy In Hindi | सिकलिंग क्या है | सिकल सेल एनीमिया का क्या उपचार है
इस लेख में हम जानेंगे कि सिकल सेल एनीमिया क्या है (What is Sickle Cell Anemia in Hindi) और सिकल सेल एनीमिया के लक्षण, कारण व उपचार क्या हैं, तो आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) को मेडिकली SCA– Sickle Cell Anemia या SCD– Sickle Cell Disease के नाम से भी जाना जाता है।
सिकलिंग क्या होती है | Sickle Cell Anemia Means in Hindi
सिकलिंग या सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक रक्त की बीमारी होती है, जो माता-पिता से बच्चों में पहुँच जाती है। भारत में लगभग 1.5 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो सिकल सेल एनीमिया के वाहक या कैरियर (Carrier)है और 14 लाख लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सिकल सेल एनीमिया होमोजाइगस (Sickle Cell Anemia Homozygous) अर्थात् मेजर सिकल सेल एनीमिया है।
यह बीमारी अफ्रिकन और एशियन देशों मे अधिक पायी जाती है। भारत की बात करें तो हमारे देश में छत्तीसगढ़, मध्य-प्रदेश व महाराष्ट राज्य में सिकल सेल एनीमिया के मरीज अधिक पाये जाते हैं।
सिकलिंग के कारण शरीर में खून की कमी होने के साथ, लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) में टूट-फूट होने लगती है, जिससे शरीर में रक्त का संचार ठीक तरीके से नहीं हो पाता है और व्यक्ति को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सिकलिंग टेस्ट पॉजिटिव मीन्स | सिकल सेल क्या होता है
यदि किसी व्यक्ति का सिकलिंग टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित है। यह एक वंशानुगत रक्त की बीमारी होती है, जो कुछ विशेष परिस्थितियों में पीढ़ दर पीढ़ी आगे चलती रहती है।
सामान्य व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कोशिका (RBC) सर्कुलर या गोल आकार के होते हैं, जिससे इनका आवागमन शरीर के कैपिलरी और वेन्स में आसानी से होता रहता है, लेकिन सिकल सेल से पीड़ित व्यक्ति में ये रेड ब्लड सेल कट-फट जाते हैं और इनका आकार हँसिया (Sickle) के रूप में हो जाता है (ऊपर चित्र से स्पष्ट है), जिससे ये हमारे शरीर के कैपिलरी वेन्स में फंस जाते हैं और शरीर में रक्त आवागमन बाधित होता है।
इसके कारण शरीर के अलग-अलग हिस्सों मे रक्त-प्रवाह अवरूद्ध होने से, व्यक्ति के शरीर में सूजन व जोड़ों में दर्द बना रहता है, साथ ही मेजर सिकल सेल (Major Sickling) की स्थिति में हार्ट अटैक की सम्भावना अधिक बनी रहती है।
मानव शरीर में सामान्य आरबीसी (Normal RBC) का जीवन-काल 120 दिन होता है, जबकि सिकल सेल आरबीसी (Sickle Cell RBC) का जीवन-काल मात्र 10 से 15 दिन का ही होता है। जब किसी RBC में ऑक्सीजन लगा रहता है, तो वह नॉर्मल रूप में होता है, लेकिन जब शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, तो वह RBC टूटकर सिकल सेल के रूप में परिवर्तित हो जाता है, इसे ही आरबीसी म्यूटेशन (RBC Mutation) कहते हैं।
इसलिए व्यक्ति को हमेशा एैसे स्थान पर निवास करना चाहिए, जहां ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलती रहे। अधिक उँचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी रहती है, इसलिए सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को ऐसे जगहों पर जाने से बचना चाहिए। इसी प्रकार ठंडे प्रदेशों में भी ऑक्सीजन की कमी होती है, इसलिए सिकल सेल से ग्रसित व्यक्ति को ऐसे स्थानों में भी नहीं रहना चाहिए।
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सिकलिंग (सिकल सेल) कितने प्रकार के होते हैं | Types of Sickle Cell Anemia In Hindi
सिकल सेल बीमारी मुख्यत: दो प्रकार की होती है-
1. होमोजाइगस सिकल सेल बीमारी (Homozygous Sickle Cell Disease)
2. हेटेरोजाइगस सिकल सेल बीमारी (Heterozygous Sickle Cell Disease)
होमोजाइगस सिकल सेल बीमारी क्या है | Homozygous Sickle Cell Disease in Hindi
यदि माता-पिता दोनों में सिकल सेल के जीन हैं, तो उनके बच्चों में सिकल सेल होमोजाइगस बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। इसके लक्षण शिशु में जन्म के तीन महिने बाद ही दिखने शुरू हो जाते हैं। इस स्थिति में बच्चे में एब्नॉर्मल हीमोग्लोबिन एचबीएस (HbS) बनने लगता है। सिकल सेल एनीमिया के कारण शरीर में आने वाले लक्षणों को आगे बताया गया है।
हेटेरोजाइगस सिकल सेल बीमारी क्या है | Heterozygous Sickle Cell Disease in Hindi
यदि माता-पिता में से कोई एक सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित है, तो इससे बच्चे में हेटेरोजाइगस सिकल सेल बीमारी हो सकती है, इसे सिकल सेल ट्रेट (Sickle Cell Trait) के नाम से भी जानते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को जीवन में ना ही किसी तरह के लक्षण दिखाई देते हैं और ना ही किसी तरह के इलाज की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए सिकल सेल ट्रेट से प्रभावित तो लगभग 1.5 करोड़ लोग हैं, लेकिन उन्हें इसके लक्षणों का पता नहीं चलता है।
इस प्रकार यदि माता-पिता में से किसी एक को सिकल सेल एनीमिया है, तो इस स्थिति में उनका बच्चे की सिकल सेल ट्रेट होने की संभावना रहती है अर्थात् वह सिकल सेल का वाहक (Sickle Cell Carrier) होता है।
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सिकल सेल एनीमिया की शर्तें क्या हैं | Sickle Cell Anemia Causes In Hindi
माता-पिता से उनके बच्चों में सिकल सेल एनीमिया ट्रांसफर की निम्न 5 शर्तें हो सकती हैं।
- यदि माता-पिता में से कोई भी एक सामान्य (Normal) और दूसरा सिकल सेल कैरियर हो, तो इसका उनके आने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- यदि माता-पिता दोनों ही सिकल सेल कैरियर (Sickle Cell Carrier) हों, तो इसका उनके आने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- यदि माता-पिता में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सामान्य हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव प्रभाव पड़ेगा।
- यदि माता-पिता में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सिकल सेल ट्रेट हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- यदि माता-पिता दोनों ही सिकलिंग अर्थात् सिकल सेल एनीमिया के शिकार हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
आइए हम इन पाँचों स्थितियों के बारे में जानते हैंः
यदि माता-पिता में से कोई भी एक सामान्य (Normal) और दूसरा सिकल सेल कैरियर (ट्रेट) हो, तो इसका उनके बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
यदि माता-पिता दोनों में से एक सिकल सेल ट्रेट व दूसरा सामान्य हैं, तो उनके बच्चों में सिकलिंग ट्रांसफर का प्रतिशत निम्न प्रकार से हो सकता है:1. | पिता (Father) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
2. | माता (Mother) | सामान्य (Normal) |
3. | 50 % (4 में से 2 बच्चे) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
4. | 50 % (4 में से 2 बच्चे) | सामान्य (Normal) |
यदि माता-पिता में से कोई एक सामान्य है और दूसरा सिकल सेल वाहक या कैरियर हो, तो इसका उनके बच्चों पर निम्न प्रभाव पड़ता है।
यदि इन माता-पिता के चार संतान होती हैं, तो ऐसी स्थिति में दों बच्चे सामान्य होंगे अर्थात् वे सिकल सेल से ग्रसित नहीं होंगे। इसके साथ ही दों बच्चे सिकल सेल कैरियर होंगे, जिन्हें आगे चलकर कोई अधिक परेशानी तो नही होगी, लकिन आगे आने वाली पीढ़ी के लिए सिकल सेल वाहक या कैरियर होंगे। इसे सिकल सेल ट्रेट (Sickle Cell Trait) भी कहते हैं।
जैसा कि नीचे चित्र से स्पष्ट है-
यदि माता-पिता दोनों ही सिकल सेल कैरियर (Sickle Cell Carrier) हों, तो इसका उनके आने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
यदि माता-पिता दोनों सिकल सेल वाहक या ट्रेट हैं, तो उनके बच्चों में सिकलिंग ट्रांसफर का प्रतिशत निम्न प्रकार से हो सकता है:1. | पिता (Father) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
2. | माता (Mother) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
3. | 50 % (4 में से 2 बच्चे) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
4. | 25 % (4 में से 1 बच्चा) | सिकलिंग (Sickling) |
5. | 25 % (4 में से 1 बच्चा) | सामान्य (Normal) |
यदि माता-पिता दोनों ही सिकल सेल वाहक (Sickle Cell Carrier) हैं, तो ऐसी स्थिति में उनके चार बच्चों में से एक सामान्य होगा, दो सिकल सेल कैरियर अर्थात सिकल सेल ट्रेट होंगे और एक बच्चा सिकल सेल गंभीर बीमारी (Sickle Cell Disease) से पीड़ित होगा। इसे मेजर सिकल सेल या होमोजाइगस सिकल सेल भी कहते हैं, जो कि बहुत घातक और पीड़ादायक बीमारी होती है।
इसे नीचे दिए गए चित्र से भी समझ सकते हैं-
यदि माता-पिता में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सामान्य हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव प्रभाव पड़ेगा
यदि माता-पिता में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सामान्य हैं, तो उनके बच्चों पर सिकलिंग ट्रांसफर का प्रतिशत निम्न प्रकार से हो सकता है:1. | पिता (Father) | सिकलिंग (Sickling) |
2. | माता (Mother) | सामान्य (Normal) |
3. | 100 % (सभी बच्चे) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
ऐसी स्थिति में होने वाले सभी बच्चों की सिकल सेल वाहक (Carrier) / सिकल सेल ट्रेट होने के संभावना अधिक होती हैं।
यदि माता-पिता में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सिकल सेल ट्रेट हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
यदि माता-पिता दोनों में से कोई एक सिकलिंग और दूसरा सिकल सेल वाहक / ट्रेट हों, तो उनके बच्चों में सिकलिंग ट्रांसफर का प्रतिशत निम्न प्रकार से हो सकता है:1. | पिता (Father) | सिकलिंग (Sickling) |
2. | माता (Mother) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
3. | 50 % (4 में से 2 बच्चे) | सिकल सेल वाहक / ट्रेट |
4. | 50 % (4 में से 2 बच्चे) | सिकलिंग (Sickling) |
ऐसी स्थिति में 4 में से 2 बच्चे, सिकल सेल वाहक / Sickle Cell Trait होंगे और 2 बच्चों की मेजर सिकल सेल एनीमिया अर्थात् होमोजाइगस सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित होने की संभावना अधिक होती है।
यदि माता-पिता दोनों ही सिकलिंग अर्थात् सिकल सेल एनीमिया के शिकार हों, तो इसका उनके होने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
यदि माता-पिता दोनों ही सिकलिंग से पीड़ित हों, तो उनके बच्चों में सिकलिंग ट्रांसफर का प्रतिशत निम्न प्रकार से हो सकता है:1. | पिता (Father) | सिकलिंग (Sickling) |
2. | माता (Mother) | सिकलिंग (Sickling) |
3. | 100 % (सभी बच्चे) | सिकलिंग (Sickling) |
ऐसी स्थिति में माता-पिता के सभी बच्चों की मेजर सिकलिंग अर्थात् होमोजाइगस सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
आइए अब हम सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं:
सिकलिंग के लक्षण क्या हैं | Symptoms of Sickle Cell Anemia in Hindi
होमोजाइगस सिकल सेल एनीमिया होने पर शरीर में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-
- शरीर में खून की कमी हो जाना
- RBC के टूटने के कारण पीलिया हो जाना
- ब्रेन स्ट्रेक हो सकती है
- किडनी में निक्रेसिस हो सकता है
- शरीर में दर्द रहना (हाथ, पैर, पीठ, छाती)
- जोड़ों में परेशानी हो सकती है (Hip Joint, Knee Joint, Shoulder Joint)
- इंक्रोसिस के कारण, अंगुलियों में सूजन आ सकती है
- पैर में अल्सर हो सकता है
- पित्ताशय की पथरी (Gallbladder Stone) हो सकती है
- शरीर में बार-बार इंफेक्शन होना
- शरीर में बहुत अधिक थकान रहना
- शरीर में कमजोरी के कारण चक्कर आना
- सांस फूलना
सिकल सेल एनीमिया होने का कारण क्या है | Causes of Sickle Cell Anemia in Hindi
सिकल सेल बीमारी का मुख्य रूप से अनुवांशिकी (Genetics) के कारण होती है और इसके लिए माता-पिता जिम्मेदार होते हैं। यह माता-पिता से उनके बच्चों में पहुँचता है।
मानव शरीर में 23 जोडें क्रोमोसोम होते हैं, जिसमे से 23 मां के और 23 पिता के होते हैं। इनमें से हर एक क्रोमोसोम का अपना एक नाम होता है अथाव अपनी एक पोजिशन होती है।
मानव शरीर में क्रोमोसोम नंबर 11 पर पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन बीटा जीन (HBB) में उत्परिवर्तन (Mutation) के कारण सिकल सेल रोग (Sickle Cell Disease) होता है।
सिकल सेल एनीमिया की जांच कैसे होती है | Tests for Sickle Cell Anemia in Hindi
व्यक्ति में सिकल सेल की जांच के लिए निम्न जांचे की जाती हैं-
- हीमोग्लोबिन टेस्ट (Hemoglobin Test)
- सीबीसी जांच (CBC Test): इसे कम्पलीट ब्लड काउंट जांच भी कहते हैं, इसमें RBC, WBC और Platelets की जांच की जाती है।
- ब्लड स्मीयर टेस्ट (Blood Smear Test): इसमें आरबीसी (RBC) के शेप को देखा जाता है।
- एचपीएलसी टेस्ट (HPLC Test) या हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस (Hemoglobin Electrophoresis)
- एचबीबी जीन म्युटेशन टेस्ट (HBB Gene Mutation Test)
- अजन्मे बच्चे में एमनियोटिक फ्लूड टेस्ट (Amniotic Fluid Test) द्वारा बच्चे में सिकल सेल की जांच की जाती है।
सिकल सेल एनीमिया का इलाज क्या है | Is Sickle Cell Anemia Curable
सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) के निम्न इलाज हैं-
बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (Bone Marrow Transplantation):
सिकल सेल एनीमिया या सिकलिंग बीमारी का एकमात्र पक्का इलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट है, जिसके लिए रोगी के बोन मैरो के सेल्स को खत्म करके, डोनर के बोन मैरो स्टेम्स सेल्स (Bone Marrow Stem Cells) को डालना होता है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट से रोगी के शरीर में RBC सही ढंग से बनने लगते हैं। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए यदि मैच डोनर मिल जाता है, तो इसका सक्सेज रेट 80% से 85% तक होता है।
बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की कुछ कमियाँ भी हैं, जैसे- बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मैच डोनर ढूँढना बहुत कठिन होता है, क्योंकि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए मैच डोनर जल्दी मिलता नही है, यह एक आनुवांशिक (Genetic) बीमारी है, इसलिए अधिकतर मामलों में भाई-बहन का ही बोन मैरो आपस में मैच करता है।
इसके साथ ही इसका इलाज थोड़ा महंगा पड़ता है और बोन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर भारत में अभी बहुत कम हैं।
ऐसे मरीज जिनमें सिकल सेल एनीमिया है, लेकिन शरीर में कम हीमोग्लोबिन होने पर भी उन्हें अधिक परेशानी नहीं होती है और इसके साथ ही यदि उस व्यक्ति के ब्लड वैसल्स में RBC का जमाव नहीं होता है, तो उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत नहीं पड़ती है।
इसलिए यह जरूरी नहीं है कि सिकल सेल से पीड़ित हर व्यक्ति का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाना आवश्यक है। बोन मैरो का ट्रांसप्लांट केवल तभी किया जाता है, जब रोगी को बार-बार स्ट्रोक आ रहे हैं, किडनी खराब हो रही हो, बार-बार शरीर में या चेस्ट में इंफेक्शन हो रहा हो, बार-बार उस मरीज की तबीयत बिगड़ रही है या बार-बार अस्पताल में भर्ती हो रहा हो।
इसके साथ ही यदि कोई सिकल सेल एनीमिया का वाहक है या उससे पीड़ित है, तो उसे विवाह के लिए ऐसे साथी का चुनाव करना चाहिए जो सिकल सेल एनीमिया को वाहक या उससे पीड़ित ना हो, जिससे आगे आने वाली पीढ़ी में सिकल सेल एनीमिया का खतरा ना हो अर्थात् इसके चेन को तोड़ा जा सके।
इसके अलावा सिकल सेल से ग्रसित व्यक्ति जिसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट की आवश्यक्ता नहीं होती है, उसके लिए कुछ अन्य उपचार भी दिये जाते हैं-
- शरीर में दर्द रहने पर दर्द निवारक दवा दी जाती है
- यदि अंगुलियों में सूजन है, तो सूजन के लिए दवा दी जाती है
- यदि शरीर में इंफेक्शन हो रहा हो, तो इंफेक्शन रोकने के लिए दवा दी जाती है
- यदि शरीर में रक्त की कमी होती है, तो रक्त आधान (Blood Transfusion) किया जाता है
- रक्त आधान को देरी से करने के लिए दवा दी जा सकती है
इस प्रकार जागरूकता व समझदारी से पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली सिकल सेल एनीमिया या सिकलिंग के चेन को टोड़ा जा सकता है और यदि इस बीमारी से पीड़ित है, तो इसके प्रति सचेत होकर अपना इलाज योग्य डॉक्टर से जरूर करायें। इसके साथ ही अनुशासन और दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में सुधार करके, इस पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।
इसलिए किसी भी तरह की परेशानी या लक्षण दिखने पर, तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें, स्वयं किसी प्रकार की दवा का प्रयोग ना करें।
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